क्या है ज़िन्दगी। …
जिससे भी पूछा उसने अलग जवाब दिया। किसी ने कहा ज़िन्दगी एक जुआ है किसी ने कहा एक अनसुलझी पहेली है… किसी ने कहा अपनों की मुस्कराहट है,, किसी के लिए एक मुट्ठी राख है। …
मुझे लगता है सभी ने सही कहा। । पहेली तो सुलझाना है.... जुआ है तो खेलना,,, अपनों की मुस्कराहट है तो अपनो को हँसाना है ज़िन्दगी .... और आखिर में एक मुट्ठी रख बन जाना है ज़िन्दगी …।
पर इन सब बातो का सीधा जवाब बस चलते जाना है ज़िन्दगी।
जिससे भी पूछा उसने अलग जवाब दिया। किसी ने कहा ज़िन्दगी एक जुआ है किसी ने कहा एक अनसुलझी पहेली है… किसी ने कहा अपनों की मुस्कराहट है,, किसी के लिए एक मुट्ठी राख है। …
मुझे लगता है सभी ने सही कहा। । पहेली तो सुलझाना है.... जुआ है तो खेलना,,, अपनों की मुस्कराहट है तो अपनो को हँसाना है ज़िन्दगी .... और आखिर में एक मुट्ठी रख बन जाना है ज़िन्दगी …।
पर इन सब बातो का सीधा जवाब बस चलते जाना है ज़िन्दगी।
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